दुनिया देशी से आधुनिकता की राह पर चल पड़ी है। पहले जहाँ लोग कोयला या लकड़ी जलाकर खाना बनाते थे, जहाँ लोग चापाकल या कुएं से पानी निकालते थे, स्वयं बैलों की मदद से खेत जोतते थे, फसल उगाने के लिए बारिश के पानी का इंतजार करते थे। और जहाँ लोग बैलगाड़ी की सवारी कर एक जगह से दूसरी जगह जाते थे। आज वही लोग गैस पर खाना बना रहे हैं, नल से पानी पी रहे हैं, ट्रैक्टरों और भी कई आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके खेत संभाल रहे हैं।
बारिश के पानी के अलावा ड्रिप इरिगेशन का उपयोग कर रहे हैं और कार, मोटरसाइकिल या स्कूटी जैसे वाहनों का उपयोग कर रहे हैं। यह सारे बदलाव तो हम सबको मालूम है पर क्या हमने कभी सोचा कि यह सारे बदलाव आए कैसे यह अपने आप तो दुनिया में आए नहीं होंगे या केवल सरकार की मदद से देश इतनी प्रगति तो कर नही सकता।
तो मैं आपको बताती हूँ कि यह सारे बदलाव लाए हैं बिल्कुल हमारे जैसे दो पैर, दो हाथ, दो आंख और एक शरीर वाले आम इंसान ने बस हमें और उनमें यह फर्क है कि हम मुश्किलों से डर जाते हैं और वह मुश्किलों से लड़ जाते हैं। यहां उन लोगों से मेरा तात्पर्य उद्योगपतियों से है जो शुरुआत तो छोटी करते हैं पर अपनी मेहनत और काबिलियत के बलबूते पर बड़ा नाम कर जाते हैं कुछ जाने-माने उद्योगपतियों में हमारे अंबानी साहब, एलोन मस्क, टाटा जी जैसे उद्योगपति शामिल है। आज के इस आर्टिकल में मैं आपको बताऊंगी कि लघु उद्योग से पैसे कैसे कमाए पर उससे पहले यह जानना जरूरी है कि एक उद्योगपति क्या होता है और लघु उद्योग होता क्या है।
उद्योगपति किसे कहते हैं?
यह जानने से पहले की लघु उद्योग से पैसे कैसे कमाए हम यह जान लेते के उद्योगपति क्या होता है तो एक उद्योगपति वह होता है जो एक कंपनी या फैक्ट्री को चलाता है और उसे कामयाब बनाता है उसकी कंपनी या फैक्ट्री में या तो कुछ सामान बनता है। या फिर कुछ सेवाएं प्रदान की जाति हैं। जिससे हमारे जैसे आम आदमी खरीदते हैं और उनकी कंपनी को आगे बढ़ने में मदद करते हैं एक उद्योगपति के अंदर कुछ कर्मचारी काम करते हैं और उन कर्मचारीयों को अपने काम के बदले में तनख्वाह मिलती है।
यह कर्मचारी भी कंपनी को ज्यादा से ज्यादा लाभ दिलाने में काम आते हैं और अपनी मेहनत लगन व कुशल का उपयोग कर कर कंपनी को नई ऊंचाइयों पर ले जाते हैं। ज्यादातर उद्योगपतियों का लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा पैसे कमा कर अपने कंपनी को प्रॉफिट दिलाना होता है लेकिन कुछ ऐसे भी उद्योगपति होते हैं जिन्हें पैसे का कोई लोभ नहीं होता वह बस जनता की सेवा करना चाहते हैं।
उद्योगपति दो तरह के होते हैं एक जो लघु उद्योग चलाते हैं दूसरे वह जो बड़े पैमाने पर उद्योग चलाते हैं लघु उद्योग को हम लोग अंग्रेजी में स्मॉल स्केल इंडस्ट्री कहते हैं लघु उद्योग चलाने के लिए ज्यादा पैसों की आवश्यकता नहीं होती है और इसे करना ज्यादा कठिन भी नहीं होता बस आपको व्यापार की जानकारी होनी चाहिए और एक लघु उद्योग चालू करने के लिए थोड़े पैसे होने चाहिए। आज के जमाने में जहां कोई भी किसी का नौकर नहीं रहना चाहता।
सब कोई अपने बलबूते पर कुछ कर दिखाना चाहते हैं उनके लिए लघु उद्योग बहुत सही चुनाव है क्योंकि इसमें ना ही आपको किसी और के ऊपर निर्भर रहना है और ना ही किसी के नीचे काम करना है यहां जो कुछ भी करना होता है वह मालिक को करना होता है मतलब की लघु उद्योग जिसने चालू किया वह एक लघु उद्योग को धीरे-धीरे बड़े पैमाने पर उद्योग करना भी चालू कर देता है।
लेकिन उसके लिए उद्योगपति को बहुत ज्यादा मेहनत और परिश्रम करने की आवश्यकता होती है बड़े पैमाने पर उद्योग को हम लोग अंग्रेजी में लारज स्केल इंडस्ट्री भी कहते हैं।जैसा कि मैंने बताया एक छोटा उद्योग बड़ा उद्योग बन सकता है उद्योगपति की मेहनत और काबिलियत से लेकिन अगर कोई व्यक्ति एक बड़े पैमाने पर उद्योग करना चाहता है बिना छोटे पैमाने पर उद्योग किए तो उसे बहुत सारे पैसों की आवश्यकता होती है और इसमें उसे नुकसान होने का बहुत ज्यादा जोखिम होता है तो आज जोखिम भरे काम की बात ना कर कर मैं आपको आसान वाले काम के बारे में बताऊंगी मतलब की आज के इस आर्टिकल में मैं आपको लघु उद्योग से पैसे कैसे कमाए इसके बारे में बताने जा रही हूं।
लघु उद्योग क्या होता है?
लघु उद्योग जिसे हम लोग अंग्रेजी में स्मॉल स्केल इंडस्ट्री कहते हैं वह एक उद्योग होता है जिसमें या तो कच्चे माल (raw material) की सहायता से सामान बनाया जाता है। और बनने के बाद बाजार में बेचा जाता है या फिर सेवाएं प्रदान की जाती है। लघु उद्योग में कच्चे माल की सहायता से सामान बनाकर भेजना है या फिर केवल सेवाएं प्रदान करनी है।
यह मालिक के ऊपर निर्भर करता है मालिक एक लघु उद्योग बनाने से पहले चुनता है कि वह किस तरह का काम करना चाहता है और काम चुनने के लिए वह सबसे पहले यह देखता है कि किस तरह के काम में उसको ज्यादा फायदा और कम से कम नुकसान है। जिस भी तरह के काम में कम नुकसान और ज्यादा फायदा होता है वह उसी काम को चुनता है। एक लघु उद्योग के मालिक को निवेशकओ का भी ध्यान रखना होता निवेशक जिसे हम अंग्रेजी में इन्वेस्टर कहते हैं।
इन्वेस्टर या निवेशक वो होते हैं जो कि एक कंपनी में अपना पैसा लगाते हैं यह देखकर कि वह कंपनी प्रॉफिट कमा रही है या नहीं। एक लघु उद्योग का मेन मकसद कम से कम निवेश कर कर ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाना होता है और लोगों को काम देना होता है। एक लघु उद्योग में कोई भी आदमी अपने प्लांट, मशीन या इक्विपमेंट में ज्यादा से ज्यादा 10 करोड़ ही निवेश कर सकता हैं और अगर उसका निवेश 10 करोड़ से पार हो जाता है तो उसका उद्योग बड़े पैमाने का हो जाता है मतलब कि लार्ज स्केल इंडस्ट्री बन जाता है और एक लघु उद्योग कि साल की कमाई 50 करोड़ से ऊपर नहीं होनी चाहिए तभी वह एक लघु उद्योग कहलाएगा।
ज्यादातर लघु उद्योग में जो भी सामान बनते हैं वह हाथों से बनाए जाते हैं जैसे कि आचार, पापड़, कैंडल। लघु उद्योग तीन प्रकार के होते हैं सोल प्रोपराइटर, पार्टनरशिप या फिर प्राइवेट लिमिटिड कॉरपोरेशन।
1. सोल प्रोपराइटरशिप
सोल प्रोपराइटरशिपमें केवल एक मालिक होता और जितना भी खर्चा है। वह वही एक आदमी उठाता है वह कोई बाहर वाले आदमी से पैसों की सहायता नहीं ले सकता है। हाँ वह अपने भाई बहन या कोई रिश्तेदार से पैसे उधार पर लेकर अपना बिजनेस चला सकता है पर उसका जो भी बिजनेस है उसमें कोई भी बाहर वाला व्यक्ति निवेश जिसे हम लोग अंग्रेजी में इन्वेस्टमेंट कहते हैं वह नहीं करता है। फिर हम लोग आते हैं।
2. पार्टनरशिप
पार्टनरशिप में दो व्यक्तियों का होना जरूरी होता है तभी एक पार्टनरशिप बनती है। पार्टनरशिप बनने से पहले कुछ कागजात बनाए जाते हैं। जिसमें जितने भी शर्त और नियम है वह लिखे जाते हैं और दो या दो से जितने भी ज्यादा लोग उस पार्टनरशिप में है उनके हस्ताक्षर और आज्ञा ली जाती है अगर सारे पार्टनर मतलब जितने भी लोग उस पार्टनरशिप में रहते हैं उन्हें हम लोग पार्टनर कहते हैं। अगर सारे पार्टनर को वह शर्तें मंजूर रहती है तो वह लोग अपने आज्ञा दे देते हैं, जिसके बाद एक पार्टनरशिप शुरू हो जाती है। पार्टनरशिप में जितना भी खर्च होता है वह जितने भी पाटनर है मतलब जितने भी लोगों ने उसमें निवेश किया हैं। वह सब मिल बांट कर उठाते हैं।
3. प्राइवेटली ऑन कॉरपोरेशन
अब इसमें क्या होता है कि जितने भी लोग यह व्यापार चला रहे हैं वह लोग अपना जो शेयर होता है। उसे बाहर आम आदमियों को खरीदने के लिए नहीं देते। वह अपने बीच यह सारे शेयर्स बांट लेते हैं और इनका मेन मकसद अपने कंपनी में ज्यादा से ज्यादा प्रॉफिट कमाना होता है। अब यह सारी बातें तो हो गई कि लघु उद्योग क्या होता है। अब चलिए आपको बता दें कि लघु उद्योग शुरू कैसे किया जाए।
लघु उद्योग कैसे शुरू करें?
चलिए जानते हैं कि एक लघु उद्योग चालू करने के लिए आपको किन किन बातों का ध्यान रखना होगा जिससे आप लघु उद्योग से पैसे कैसे कमाए यह जान पाओ:
कौन सा व्यापार करना है?
सबसे पहले यह सोचने की जरूरत है की कौन सा व्यापार करना चाहते हो? इसमें आपको दो चीजों का ध्यान रखना पहला यह कि आपको किस तरह के काम में दिलचस्पी है जिसे आप दिल लगाकर कर सकते हो कोई ऐसा काम मत चुनना जिसे करने में आपको बोरियत का एहसास हो आपको ऐसा काम चुनना चाहिए जिसे करने में आपको आनंद आता हो ताकि आप अपने व्यापार को नई ऊंचाइयों पर ले जा सको और दूसरा यह कि अभी आम लोगों के बीच में किस तरह की वस्तु या फिर सर्विस की सबसे ज्यादा मांगे अब वही वस्तु को बेचने का चुनाव करें या फिर सर्विस दें जिसमें ज्यादा से ज्यादा लोग की रूचि हो।
नाम
किसी भी व्यापार का नाम रखना बहुत ही आवश्यक होता है क्योंकि उसी नाम से आप उस व्यापार को संबोधित करोगे और लोगों को एक व्यापार के नाम को देखकर उस व्यापारी और उसके व्यापार पर विश्वास बना रहेगा। एक नाम रखने से पहले आपको कुछ चीजों का ध्यान रखना होगा। जिसमें से सबसे पहला यह है कि जो भी नाम आप चुने वह कोई और कंपनी का नाम ना हो मतलब की कोई भी दो कंपनियां एक जैसा नाम नहीं रख सकती। इस वजह से आपको ऐसा नाम चुनना होगा। जो अभी तक कोई और कंपनी ने नहीं रखा दूसरा यह है कि आपका नाम बहुत हटकर और आकर्षक होना चाहिए। तभी ज्यादा से ज्यादा लोग आपके व्यापार की तरफ आकर्षित होंगे जिससे आपका व्यापार बढ़ेगा और आप एक लघु उद्योग से पैसे कमा पाओगे।
प्रतीक चिन्ह
प्रतीक चिन्ह को हम लोग अंग्रेजी में लोगो कहते हैं लोगो किसी भी व्यापार का एक विशेष चिह्न होता हर कंपनी का अलग लोगों होता है। कोई भी दो अलग-अलग कंपनियां एक जैसा लोगों नहीं बनवा सकती लोगों एक व्यापार का मुद्रित रूप में प्रतीक होता है।
योजना
किसी भी व्यापार को चालू करने से पहले एक योजना बनाना अनिवार्य होता है एक योजना व्यापार को सही मार्ग पर ले जाती है और एक व्यापारी को आगे क्या करना चाहिए ताकि वह ज्यादा से ज्यादा पैसे कमा सके यह बताती है।
खर्चे
एक व्यापार चालू करने से पहले उससे जुड़े हुए खर्चे के बारे में जानना बहुत जरूरी होता है क्योंकि बहुत बार क्या होता है कि लोग अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़कर व्यापार तो चालू कर देते हैं पर उस से जुड़े हुए खर्चे के बारे में सोचना भूल जाते हैं जिसक् कारण उनका व्यापार घाटे में चला जाता है एक व्यापार से जुड़े हुए खर्चा बहुत ही जरूरी होता है। क्योंकि जैसा कि हम लोग जानते कोई भी चीज मुफ्त में तो नहीं मिलती हर चीज का कुछ ना कुछ दाम होता है। मैं आपको एक उदाहरण से समझाती हूं मान लीजिए कि आप एक राशन की दुकान चालू करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको एक अच्छी जगह ढूंढनी पड़ेगी वहां पर एक जमीन लेनी पड़ेगी। फिर वहां दुकान खड़ी करनी पड़ेगी उसके बाद फिर उसमें राशन के सामान खरीद कर भरने पड़ेंगे।
तब जाकर आप कहीं लोगों को वह सामान बेच पाओगे तो यह जितने भी खर्चे थे जमीन खरीदने के दुकान खड़े करने के राशन के सामान खरीदने के यह सारे खर्चे सोच कर ही व्यापार चालू करना चाहिए। मतलब यह कि आपको व्यापार चालू करने से पहले यह सोचना पड़ेगा। कि आप एक व्यापार से जुड़े हुए सारे खर्चे उठाने में सक्षम हो कि नहीं क्योंकि एक व्यापार चालू करते ही तुरंत मुनाफा नहीं होता मुनाफा होने में बहुत समय लग जाता है और मुनाफे के पहले का जो वक्त है उसका जितना भी खर्चा है वह सारा आपको अपनी जेब से भरना पड़ता है।
दाम
यह सोचने के बाद क्या आप किस तरह का व्यापार करोगे यह भी सोचना जरूरी है कि आप अपने व्यापार के सामान्य सेवा को कितने पैसों में बेचना मुनासिब समझो कि आपको उतने ही पैसे चुनने चाहिए जितना कि एक ग्राहक को उचित लगे आपको शुरुआत में ही बहुत ज्यादा लोग ही नहीं बनना चाहिए नहीं तो आप का लाभ नहीं हो पाएगा। एक व्यापार चालू करने से पहले सबसे पहले जो चीज व्यापारी को समझनी चाहिए।
वह यह है कि उससे अपने ग्राहकों का अच्छे से ख्याल रखना आना चाहिए। क्योंकि मार्केट में बहुत कंपटीशन है और अगर एक व्यापारी अपने ग्राहक का सही से ख्याल नहीं रखेगा तो ग्राहक उसे छोड़कर दूसरे व्यापारी के पास चला जाएगा। तो आप अपने सामान या फिर सेवा का ऐसा दाम लगाएं जो कि नाही आपको घाटा दे और ना ही एक ग्राहक को ज्यादा लगे मतलब कि जब ग्राहक उस सामान का दाम सुने तो उससे वह दाम उचित लगे।
लाइसेंस
बहुत सारे ऐसे व्यापार होते हैं जिसके लिए लाइसेंस का होना बहुत आवश्यक होता है अगर उस व्यापार को करते वक्त आपके पास लाइसेंस नहीं है तो आप को कुछ जुर्माना देना पड़ेगा नहीं तो आपको जेल भी जाना पड़ सकता है इसीलिए अगर आप कोई ऐसा व्यापार कर रहे हैं जिसमें लाइसेंस की आवश्यकता होती है तो व्यापार चालू करने से पहले आप लाइसेंस बनवा लीजिये।
पंजीकरण
पंजीकरण जिसे हम लोग अंग्रेजी में रजिस्ट्रेशन बोलते हैं, यह भी एक लघु उद्योग को कराना अनिवार्य होता है पंजीकरण कराने के बहुत सारे फायदे होते हैं अगर आपकी कंपनी का पंजीकरण हो गया है। तो इन्वेस्टरों को आपकी कंपनी में पैसे लगाने में ज्यादा संकोच नहीं करना पड़ेगा लोगों का भी आपकी कंपनी की तरफ विश्वास बढ़ेगा और आप बैंक में भी अपना खाता खुलवा पाओगे कंपनी के नाम से।
विज्ञापन
आज के आधुनिक युग में विज्ञापन जिसे हम अंग्रेजी में ऐड कहते हैं उसका एक व्यापार में बहुत ही महत्व है क्योंकि आज की युवा पीढ़ी अपने फोन, लैपटॉप या टीवी से चिपकी हुई रहती है। जिस कारण टीवी में दिखाया गया वह विज्ञापन ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचता है और आपके व्यापार की जानकारी बढ़ती है जिस कारण से ग्राहक का आना जाना भी बढ़ता है।
डिजिटल प्रेजेंस
जैसा कि मैंने बताया आज की युवा पीढ़ी का हर काम इंटरनेट पर होता है चाहे वह सामान खरीदना हो या बेचना हो इसीलिए आज के आधुनिक युग में हर एक व्यापारी को कोई ना कोई ऑनलाइन वेबसाइट से जोड़ना अनिवार्य है। अगर उससे ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने हैं तो। यहां डिजिटल प्रेजेंस का मतलब बस ऑनलाइन वेबसाइट से नहीं बल्कि सोशल मीडिया अकाउंट से भी है जैसे कि ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम इत्यादि जैसे सोशल मीडिया एप्लीकेशन पर भी एक व्यापारी को जुड़े रहना चाहिए। जिससे वह ज्यादा से ज्यादा कस्टमर को अपने व्यापार की तरफ आकर्षित कर सके और अपना मुनाफा बढ़ा सके। एक डिजिटल प्रेजेंस होने के कारण एक व्यापारी के ग्राहक तो पड़ेंगे ही पर उसका और भी फायदा होगा वह यह है कि वह अपने ग्राहक से जुड़ा हुआ रहेगा और अपने ग्राहक की पसंद नापसंद की खबर भी रख पाएगा।
अब यह तो हो गई लघु उद्योग शुरू करने की प्रक्रिया अब मैं आपको कुछ ऐसे लघु उद्योग के नाम बताऊंगी जिसके लिए आपको ज्यादा पैसे भी नहीं लगाने पड़ेंगे। और आप ज्यादा पैसे कमा पाओगे मतलब कि कम पैसे में ज्यादा मुनाफा होगा तो चलिए जानते हैं कि कम निवेश कर कर आप लघु उद्योग से पैसे कैसे कमा सकते हैं।
कम लगत में लघु उद्योग कौन-कौन से हैं?
आज के युग में जहां कोई भी नौकर नहीं बनना चाहता हर कोई की इच्छा मालिक बनने की होती है कोई किसी के नीचे काम नहीं करना चाहता कोई दबकर नहीं रहना चाहता वहां लघु उद्योग लोगों को यह करने में बढ़ावा देता है। क्योंकि यहां बस आप अपने कौशल से और थोड़े पैसों से एक बिजनेसमैन बन सकते हो 10 हजार लगाकर एक लाख कमा सकते हो चलिए मैं आपको कुछ ऐसे लघु उद्योग के बारे में बताती हूं जिससे कम लगत में आप सादा पैसे कमा पाओगे।
आचार बनाना
हमारे देश भारत में हर घर में शनिवार को खिचड़ी जरूर से जरूर बनती है या फिर कोई बड़ा त्यौहार होता है जैसे दुर्गा पूजा तो उसमें भी खिचड़ी जरूर मिलती है प्रसाद के रूप में और खिचड़ी के साथ सबसे ज्यादा पसंदीदा खाने वाली चीज है। आचार केवल खिचड़ी ही नहीं बल्कि दाल चावल, रोटी, पराठे इत्यादि के साथ भी अचार लोगों को बहुत पसंद आते हैं खाने में और पहले तो हर घर में घर की औरतें स्वयं अचार बनाती थी लेकिन अब इस बदलते युग में औरतें भी बाहरी कामों में व्यस्त हो गई हैं वह लोग भी नौकरियां करने लगी हैं।
इस कारण से अब हर घर में अचार बनना तो बहुत कठिन है तो लोग बाहर से अचार खरीदने के लिए मजबूर हो जाते हैं लेकिन अगर उन्हें कोई ऐसा उपाय मिले जिससे वह घर का बना आचार खरीद पाए तो वह लोग बड़े खुश होते हैं। क्योंकि घर की बनी चीजों का एक अलग ही स्वाद होता है अचार बनाने में ज्यादा मेहनत भी नहीं लगती है। कुछ मसाले और आम या नींबू या जिस भी चीज का अचार बनाना है वह सामग्री लगती है और थोड़ी सी धूप चाहिए होती है। यह काम कोई भी व्यक्ति घर बैठे कर सकता है और घर से ही ऑर्डर लेकर सामान भेज सकता उसे ना ही बाहर जमीन खरीदने की जरूरत है। और ना ही बाहरी लोग से पैसे लेने की आवश्यकता होती है वह स्वयं के बलबूते पर यह काम चालू कर सकता है और इससे बड़ा सकता है।
पापड़
हर दोपहर को भारत के हर घर में दाल चावल तो बनता ही बनता है और उसके साथ आचार और पापड़ भी रहते हैं। पापड़ बनाने के लिए भी ज्यादा मेहनत की आवश्यकता नहीं होती है अब घर बैठे या काम आराम से कर सकते हो। अब पापड़ बना कर अपने आस पड़ोस के लोगों को चखा सकते हो और जब उन्हें वह पसंद आए तो उनसे आर्डर ले सकते हो।
केक
आज के इंटरनेट के जमाने में जहां लोग दूसरे देशों और संस्कृति के बारे में जान ने लगे हैं और उन्हें अपनाने की भी कोशिश करते हैं जिस कारण से पहले जहां केक केवल जन्मदिन पर कटते थे। अब वह केक शादी, सगाई, नया साल या कोई भी और परव पर भी कटने लगे है जिस कारण से केक की मांग बढ़ गई है। और एक केक का व्यापार बहुत तेजी से ऊंचाइयों छू रहा है। केक के व्यापार में बाकी व्यापारओ से ज्यादा फायदा रहता है। क्योंकि जब आपको आर्डर मिलेगा तब आप उस केक कि सामग्री खरीद कर केक बनाओगे पहले से सामग्री खरीद कर उसका बर्बाद होने का कोई भय नहीं होता। यह काम भी आराम से घर बैठे हो सकता है। और कोई अलग से जमीन या दुकान खरीदने की आवश्यकता नहीं होती मतलब कि कम लागत में ज्यादा मुनाफा होता है।
अगरबत्ती बनाने का व्यापार
भारत जहां 33 कोटि देवी-देवताओं की पूजा की जाती है जहां हर सुबह और शाम अगरबत्ती और घी की बत्तियां जलना अनिवार्य होता है वहां अगरबत्ती का व्यापार आसानी से चल सकता है।
सुगंधित मोमबत्तियां बनाने का व्यापार
आजकल लोगों को सुगंधित और डिजाइनर मोमबत्तियां खरीदने का बहुत शौक है तो यह व्यापार भी बहुत आगे जा सकता है अगर आपको मोमबत्ती बनाना आता है। तो आप या व्यापार चालू कर सकते हैं आप इंस्टाग्राम या फेसबुक जैसे ऑनलाइन एप्स पर अपना काम डाल सकते हैं। और जिन लोगों को आपका काम पसंद आएगा वह आपको वहीं से आर्डर देंगे और आप उनके मन मुताबिक मोमबत्तियां बनाकर उन्हें भेज सकते हो।
पनीर
पनीर की से नहीं पसंद होता है दूध को सिट्रिक एसिड जैसे कि नींबू, विनेगर इत्यादि की मदद से फाड़ कर उसमें बचा हुआ पानी हटाकर उसे थोड़ी देर सूखने के लिए रख दिया जाता है। और पनीर बन जाती एक पनीर का कारोबार चालू करने के लिए आपको कम से कम ₹50000 की आवश्यकता होगी। अपने इस कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए आप अपने सगे संबंधी अपने आस पड़ोस के लोग और भी जितने जान पहचान के लोग हैं। उन्हें संपर्क करें और उन्हें अपने इस कारोबार के बारे में बता कर अपना कारोबार बढ़ा सकते हैं या फिर आप कोई रेस्टोरेंट या होटल से भी संपर्क कर सकते अपना पनीर बेचने के लिए लेकिन पनीर के कारोबार को चालू करने से पहले आपको सरकार की अनुमति लेनी होंगी।
टोकरी बनाने का कारोबार
एक टोकरी बनाने का कारोबार बहुत ही मुनाफे वाला हो सकते हैं क्योंकि यह काम आप घर पर बैठ कर भी कर सकते हैं। इसके लिए आपको टोकरी बनाने की कला नहीं चाहिए और आज के लेटेस्ट ट्रेन के बारे में पता होना चाहिए। जिससे आप सादा से ज्यादा ग्राहक को अपने टोकरी बनाने वाले कारोबार की तरफ आकर्षित करता टोकरी बनाने के कारोबार के लिए आपको गवर्मेंट सेल लाइसेंस लेना भी आवश्यक है।
जूट के थैले बनाने का व्यापार-
ऑनलाइन शिक्षक-करोना कॉल के बाद ऑनलाइन शिक्षाएं बहुत बढ़ गई हैं यह भी एक व्यापार करने का साधन हो सकता है। आप स्काइप पर या फिर गूगल मैप पर और कोई अन्य आप पर दूसरे बच्चों को शिक्षा प्रदान कर सकते हैं और उसके बदले में फीस ले सकते हैं।
मिट्टी के बर्तन-हालांकि हमारा देश तेजी से प्रगति की राह पर चल पड़े पर फिर भी यह अपनी संस्कृति नहीं भूला है आज भी बहुत सारे ऐसे लोग हैं। जो हमारी पुरानी संस्कृति को अपनाते हुए मटके में पानी पीते हैं मिट्टियों के बर्तनों का इस्तेमाल करते हैं और पर्व पर तो मिट्टी से बने दियो का इस्तेमाल होता ही होता है जिस कारण से मिट्टी के बर्तनों का कारोबार भारत देश में सफल हो सकता है।
अब यह तो हो गए कुछ ऐसे व्यापार के काम जो कि आप एक छोटे पैमाने पर चालू कर सकते हो कम पैसे लगाकर और फिर इसे बढ़ाकर बड़े पैमाने पर उद्योग भी कर सकते हो। अब चलिए जानते हैं कि भारत में लघु उद्योग के क्या फायदे हो सकते हैं।
भारत में लघु उद्योग के फायदे
भारत में लघु उद्योग के ढेरों फायदे हैं सबसे पहला यह है कि यह एक इंसान को नौकर से मालिक बना देते हैं आज के युग में जहां कोई भी किसी का नौकर नहीं बनना चाहता लघु उद्योग उन लोगों की मदद करता है। यह भारत देश के हर नागरिक को स्वयं पर निर्भर रहने में मदद करता है और भारत देश के जीडीपी को भी बढ़ाता है। दूसरा फायदा यह है कि एक लघु उद्योग देश में रोजगार बढ़ाता है और देश की इकोनॉमी के तरफ बहुत बड़ा योगदान देता है।
तीसरा फायदा लघु उद्योग करने का यह है कि भारत सरकार स्वयं लघु उद्योग करने वालों की सहायता करती है वह तरह-तरह के स्कीम, प्रोजेक्ट और सब्सिडीज देती है जिससे भारतीय नागरिक लघु उद्योग करें और देश को प्रगति की राह पर ले जाएं। भारतीय सरकार द्वारा बनाए गए स्कीम सब्सिडीज या प्रोजेक्ट की मदद से कई लघु उद्योग के कारोबारियों को सहायता मिलती है।
जैसे कि बैंक से कम इंटरेस्ट पर लोन मिल जाते हैं और उन्हें कई तरह के टैक्स से भी छुटकारा मिल जाता है और कई कारोबारियों को तो तरह-तरह की ट्रेनिंग भी दी जाती है। जिससे वह सही से कारोबार कर पाए जिस कारण से एक लघु कारोबारी बड़े पैमाने के उद्योग से मुकाबला कर पाते हैं।
लघु उद्योग से कितने पैसे कमा सकते हैं?
कोई भी व्यापारी व्यापार प्रॉफिट कमाने के लिए ही चालू करता है तो यह जाहिर सी बात है कि आप भी उत्सुक होंगे। यह जानने के लिए कि एक लघु उद्योग से भारत में आप कितने पैसे कमा पाओगे तो अगर आपको 10 से 20 साल का अनुभव है। तो आप लगभग ₹900000 कमा पाओगे सालाना और अगर आपको 20 से भी ज्यादा साल का अनुभव है तो शायद आप 12 से भी ज्यादा लाख रुपए सालाना कमा पाओ लेकिन यह जरूरी नहीं है कि आप इतने ही पैसे कमआओगे हो सकता है कि आप इससे कम या इससे ज्यादा भी पैसे कमा पाओ। क्योंकि पैसे कमाना तो आपके सामान या सर्विस बेचने पर निर्भर करता है आप जितना ज्यादा अपना सामान्य या सर्विस बेचो गे उतना ही ज्यादा आपको प्रॉफिट होगा एक सेंसस की रिपोर्ट के मुताबिक एक लघु उद्योग की औसत यानी कि एवरेज बिक्री 4.19 करोड़ है।
निष्कर्ष
हर कोई अपने जीवन में कुछ हटके और अलग करना चाहता हैं पर किसी को पैसे की चिंता रहती है तो किसी को ना हो पाने का डर कोई छोटी सी मुश्किल से घबरा जाता है तो कोई सोसाइटी के प्रेशर में आकर आगे नहीं बढ़ पाता। लेकिन यह सोचने वाली बात है कि कब तक हम डर डर कर जिएंगे और कब तक दूसरों की बातें सुनेंगे हमें वह करना चाहिए। जो हमारा मन हमें कहता है एक व्यापार चलाने के लिए बस पैसे ही नहीं एक जिगरा भी चाहिए होता है।
अगर आप में हिम्मत है और कुछ कर दिखाने का मन है तो आप बड़ी से बड़ी मुश्किल का सामना आसानी से कर लोगे तो व्यापार चलाना तो बहुत छोटी सी बात है आज देश के बड़े से बड़े उद्योगपति अपनी मेहनत लगन और काबिलियत के बलबूते पर उद्योगपति बने है हर किसी ने अपने जिंदगी में कोई ना कोई मौके पर स्ट्रगल तो जरूर किया है और वह उस लड़ाई में जीत कर आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं।
FAQ’s
जी हां लघु उद्योग में कई सारे ऐसे काम है जो आप घर बैठे कर सकते हैं और पैसे कमा सकते हैं जैसे की मोमबत्ती बनाना, पापड़ बनाना, अचार बनाना इत्यादि और ऐसा नहीं है कि अगर यह सारे काम आप बाहर एक अलग से दुकान लेकर करते तो ज्यादा बिक्री होती आपको घर में भी वही बिक्री होगी लेकिन आपको एक चीज का ख्याल रखना होगा वह यह है कि आपका सामान लोगों को पसंद आना चाहिए और उसका जो दाम है वह सुनकर लोगों को लगना चाहिए कि हां इस वस्तु का इतना दम होना चाहिए मतलब कि आप कोई भी वस्तु का ज्यादा बढ़ा चढ़ाकर दाम ना रखें और आप के सामान की क्वालिटी भी बढ़िया होनी चाहिए।
एक लघु उद्योग का पंजीकरण करवाना आवश्यक तो नहीं है मालिक के ऊपर निर्भर करता है कि वह पंजीकरण करवाना चाहता है या नहीं लेकिन जन्मों के उद्योग का पंजीकरण हो चुका होता है उन्हें बहुत सारे लाभ मिलते हैं कुछ सरकार की तरफ से कुछ बैंकों की तरफ से और कुछ हम जैसे आम आदमियों की तरफ से जो सरकार है वह सब्सिडीज देती है जो बैंक है वह लोन देने के लिए राजी हो जाते हैं और हम जैसे आम लोग को जब पता चलता है कि एक व्यापारी के व्यापार का पंजीकरण हो चुका है तो हमें उस व्यापारी और उसके व्यापार पर विश्वास रहता है कि वह किसी तरह की ठगी नहीं करेगा जिस कारण से एक व्यापारी के व्यापार में वृद्धि होती है और वह ज्यादा पैसे कमा पाता है।
जी हां हमारी भारतीय सरकार लघु उद्योग को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है वह सब्सिडीज और कई तरह के प्रोग्राम और स्कीम्स की मदद से लघु उद्योग को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है जैसे कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना जिसमें जो बैंक है वह लघु उद्योग पतियों को अपना कारोबार आगे बढ़ाने के लिए कम इंटरेस्ट पर लोन देती हैं,ZED स्कीम इसमें भारतीय सरकार लघु उद्योग वालों को बढ़िया क्वालिटी के सामान बनाने के लिए प्रोत्साहित करती है और उनके सामान में अगर कुछ दोश रहता है तो उसे सुधारने के लिए खर्चे करने के लिए भी राजी रहती है ZED का मतलब जीरो इफेक्ट एंड डिफेक्ट मिशन होता है।